प्रधानमंत्री ने नासिक के कालाराम मंदिर से शुरू किया 11 दिन का विशेष अनुष्ठान, अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा तक जारी रहेगा
नई दिल्ली। पीएम मोदी ने11 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत नासिक में कालाराम मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की. यह मंदिर नासिक के पंचवटी क्षेत्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर के अभिषेक समारोह से ठीक 10 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना और अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का यहां से शुभारंभ करना इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि प्रभु राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है. रामायण काल से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों में पंचवटी का विशेष स्थान है.
माना जाता है कि उस दौर की कई महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटी थीं. भगवान राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान, पंचवटी क्षेत्र में स्थित दंडकारण्य वन में कुछ वर्ष बिताए थे. पंचवटी नाम का अर्थ है 5 बरगद के पेड़ों की भूमि. पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि प्रभु राम ने पंचवटी में ही अपनी कुटिया स्थापित की थी. क्योंकि 5 बरगद के पेड़ों की उपस्थिति ने इस क्षेत्र को शुभ बना दिया था. अयोध्या में भव्य राम मंदिर के अभिषेक समारोह से ठीक 10 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना और अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का यहां से शुभारंभ करना इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि प्रभु राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है.
पीएम मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान के बारे में जानिए
पीएम मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जानकारी देते हुए कहा, ‘जहां तक उपवास का सवाल है तो इससे मनुष्य तप कर कुंदन होता है. एक शक्ति जनता से प्राप्त होती है, एक शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है. भगवान से शक्ति प्राप्त कर जनता की सेवा के लिए प्रधानमंत्री मोदी यह 11 दिनों का अनुष्ठान कर रहे हैं. अलग-अलग पंथ के अलग-अलग अनुष्ठान हैं. जैन और बुद्ध धर्म के अलग हैं तो सनातन धर्म के अलग. यह मन का शुद्धिकरण है, कोई निराहार रहता है, कोई जल पर रहता है. लेकिन यह सब भारत के कल्याण के लिए है’.
ऋषि स्वरानंद ने कहा, ’11 दोनों का यह अनुष्ठान शरीर और मन के शुद्धिकरण के लिए तप है. 11 दिनों में वह मनसा वाचा कर्मणा (मन, वचन और कर्म) से शुद्ध हो रहे हैं. इससे मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है’. अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि 11 दिन के अनुष्ठान में पीएम मोदी आदित्य हृदय सूत्र का 2100 बार पाठ करेंगे. व्रत रहेंगे और फलहार करेंगे. हर रोज आदित्य हृदय सूत्र पाठ और हवन के बाद ही अपने काम में लगेंगे. पीएम मोदी अयोध्या में सप्ताह भर चलने वाले अनुष्ठान में शामिल नहीं हो सकते, इसीलिए वह अपने स्तर पर अनुष्ठान कर रहे हैं.

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