छत्तीसगढ़

आर्सेनिक की अधिकता से बचाव करने कृषकों को दी जानकारी

प्रशिक्षण शिविर आयोजित

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रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन शास्त्र विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ‘‘मृदा जल एवं फसलों में आर्सेनिक स्तर अधिकता की निवारण तकनीक एवं सुरक्षित उपयोग’’ विषय पर कृषक प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी का आयोजन राजनांदगांव जिले के ग्राम कौड़ीकसा में किया गया। मुख्य अतिथि उप-संचालक कृषि आर.एन. बंजारा ने कहा कि मृदा में भारी तत्वों की अधिकता से फसलों, मृदा और मानव के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। आर्सेनिक की अधिक मात्रा होने से पेय-जल और खाद्यान्न पर प्रभाव पड़ता है, जिससे बचने के लिए सुरक्षा तकनीक का उपयोग करना चाहिए। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 से अधिक किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. के. टेडिया ने कहा कि मिट्टी और जल में आर्सेनिक के प्रभाव के अध्ययन हेतु परियोजना चलाई जा रही है, जिसका लाभ क्षेत्रीय किसानों को मिलेगा। आर्सेनिक से मुक्ति हेतु कोड़ीकसा (राजनांदगांव) में आर्सेनिक मुक्ति संयंत्र की स्थापना की जाएगी, उन्होंने कृषकों की समस्याओं के निराकरण हेतु फसल डाॅक्टर एप की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. के.के. साहू, डाॅ. व्ही.एन. मिश्रा, डाॅ. आर.एन. सिंह, डाॅ. रविन्द्र सोनी तथा कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव और छत्तीसगढ़ शासन के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रधान पाठक पूरन साहू ने किया।

 
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