August 3, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
रायपुर-जबलपुर एक्सप्रेस का भव्य शुभारंभ, सीएम साय ने दिखाई हरी झंडीथाने में न्याय मांगने पहुंची महिला के साथ मारपीट, TI और स्टाफ के खिलाफ FIRरेबीज से संक्रमित मरीज की मौत, अंबेडकर अस्पताल ने जारी किया तथ्यात्मक बयानरायगढ़ के जंगल में बाघ की दस्तक, वन विभाग अलर्ट…एक्सिस बैंक में करोड़ों की धोखाधड़ी, पूर्व अधिकारी और उसकी पत्नी गिरफ्तारशर्म करो एमएस साहब ! सरकारी नौकरी की मलाई खा रहे, लेकिन बिलासपुर में चला रहे निजी क्लिनिक – कब बंद होगा ये दोहरा खेल ?1200 नशीले इंजेक्शन के साथ युवक गिरफ्तारधमतरी में गौ-तस्करी करते सात आरोपी गिरफ्तार2 लाख के ईनामी नक्सली सहित 3 नक्सली गिरफ्तारमंत्री राजवाड़े ने शबरी एंपोरियम, और गारमेंट फैक्ट्री का किया अवलोकन
छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में ग्राम सभा को मजबूत बनाने पर जोर – जनक लाल ठाकुर

आदिवासी अधिकारों पर रायपुर में अधिवेशन

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर। आदिवासी समुदायों के लिए ग्रामसभा सबसे महत्वपूर्ण है। ग्रामसभा आदिवासियों के हित के लिए काम करने और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने में सक्षम हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ग्रामसभा को मजबूत बनाना होगा। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर ने यह बात राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में कही।
भारत के आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर चर्चा के उद्देश्य से देश भर के 10 राज्यों से आदिवासी समुदायों के लगगभ 300 प्रतिनिधि दो दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर में जुटे हैं। अधिवेशन की शुरुआत आज रायपुर के अग्रसेन धाम में दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम के साथ हुई। दीप प्रज्जवलन के साथ ही अधिवेशन में भाग ले रहे महिला-पुरुषों ने ‘जल, जंगल, जमीन की लूट नहीं सहेंगे‘, ‘लड़ेगे-जीतेंगे” के नारे लगाए।
आयोजक समिति के संयोजक, झारखंड के कुमार चंद्र मार्डी ने दो दिवसीय अधिवेशन का उद्देश्य और महत्व प्रतिभागियों के साथ साझा करते हुए सभा को शुरू किया। भूमिज समाज के राष्ट्रीय संयोजक सिद्धेश्वर सरदार, छत्तीसगढ़ परिवर्तन समुदाय की इंदु नेताम, खेदुत मजदूर चेतना संगत, राजस्थान के शंकर तड़वाल, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर और मेघालय की पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता लिंडा चकचुआक ने अपने अपने राज्यों में हो रहे आदिवासी समुदायों के संघर्षों को साझा किया। इस सत्र का संचालन एक्शनएड एसोसिएशन की ब्रतिंदी जेना ने किया।
इंदु नेताम ने कहा, “आजीविका के लिए आदिवासी समुदायों के परंपरागत काम पारिस्थितकी अनुकूल होने के बावजूद, आधुनिक उत्पादन प्रक्रियाओं के इस दौर में उनको प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारो से वंचित होना पड़ रहा है। जबकि प्राकृतिक संसाधन, वन भूमि में बसने वाले आदिवासी समुदायों की आजीविका के मूल स्रोत हैं।“
लिंडा ने कहा, “क्या हम सिर्फ इसलिए आदिवासी हैं कि हम पैदा आदिवासी हुए हैं या इसलिए कि हम सबके लिए समानता और न्याय की पैरोकार आदिवासी संस्कृति और आदिवासी जीवनशैली को संरक्षित और विकसित करते हुए अपनी पूरी जिंदगी जीते हैं।
इन दो दिनों में समूह चर्चाओं के माध्यम से आदिवासियों के अधिकारों के लिए आगे की रणनीति को दिशा दी जाएगी।

Related Articles

Check Also
Close