कोरबा – राजस्व मंत्री हर बार कोरबा से सौतेला व्यवहार करते नजर आते है ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि जिस पट्टे का वितरण साल 2019-20 में हो जाना था वो अब कहीं जाकर चुनाव से पहले वितरित होने जा रहा था। वो भी तब जब पट्टा वितरण को लेकर भाजपा ने कोरबा में एक बड़ा जन आंदोलन किया तब कहीं जाकर मंत्री की नींद खुली और आनन – फानन के पट्टा वितरण की रूपरेखा तय की गई। हालाकि अब भी कोरबा नगर निगम क्षेत्र के 15 वार्डो में पट्टे का वितरण होगा या नहीं स्पष्ट नहीं है। आगामी पखवाड़े भर में आचार संहिता लगने के आसार है ऐसे में एक सप्ताह बाद शुरू होने वाला पट्टा वितरण कितने लोगो के घर तक पहुंच सकेगा ये तो अभी से कहना मुश्किल है। इधर विपक्ष में बैठी भाजपा भी कोरबा के लोगो के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ पूरे 4 साल बोलने से बचती रही है अब जब पट्टे का वितरण होने जा रहा है तब भी भाजपा इसका क्रेडिट अघोषित तौर पर राजस्व मंत्री को ही दे रही है। जबकि इन्ही मंत्री के वजह से पट्टे के वितरण में देरी हुई है नहीं तो नगरीय निकाय विभाग ने साल 2019 में ही एक परिपत्र राज्य के सभी कलेक्टरों को जारी कर साल 2019 के अंत तक राज्य के उन सभी नगरीय निकाय जहां की आबादी 1 लाख से अधिक थी वहां बसे लोगों को शासकीय भूमि 15 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से वितरित करने का निर्देश दिया था। इसके पीछे सरकार की मंशा उस समय हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार कराना था। इसके तहत तत्कालीन समय में पट्टे के लिए बकायदा सर्वे भी कराया गया पट्टा वितरण की भी तैयारी हो गई लेकिन सूत्र बताते है कि मंत्री जी ने प्रारूप में परिवर्तन चाहा जिसके बाद आचार संहिता लग गई और कोरबा के नगरीय निकायों में पट्टे का वितरण नहीं हो सका इसका नतीजा ये रहा कि कोरबा नगर निगम में कांग्रेस के पार्षदों की संख्या में काफी कमी आई और लोगो ने भाजपा पर भरोसा जताया। बावजूद इसके तोड़ फोड़ में माहिर मंत्री ने अपनी चालाकी के बूते अपने विश्वनीय को महापौर बना निगम क्षेत्र के आका बन गए। इससे पहले मंत्री साल 2014 में अपने 30 साल पुरानी साथी उषा तिवारी का साथ छोड़ अपनी पत्नी को महापौर का टिकट दिला दिए थे अपनो से ज्यादा मंत्री को अपनी फिक्र रहती है ये कांग्रेस में शामिल सभी कार्यकर्ता जानते है लेकिन कोरबा में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से बाहर जाना किसी के बूते की बात नहीं इसलिए कोई मुखालफत नहीं कर पाता है इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे आज बात पट्टे करते है। मंत्री ने साल 2019 में ऐलान किया था कि सार्वजनिक उपक्रमों की भूमि में बसे लोगो को उनका मालिकाना हक़ दिलाया जायेगा लेकिन जब तब सार्वजनिक उपक्रमों में बसे लोगो का सर्वे नहीं हो जाता उनकी जमीन राजस्व विभाग/नजूल के खाते में हस्तांतरित नहीं हो जाती है तब तक पट्टे का उन इलाकों में वितरण संभव नहीं है। पट्टे का वितरण निश्चित रूप से होना चाहिए लेकिन हमारा उद्देश्य जिनके वजह से योजनाओं में देरी हुई है उनको सामने लाना जरूरी है। जयसिंह अग्रवाल ने इन 4 सालों में पट्टा वितरण को लेकर कोई पत्राचार किया हो तो सामने लेकर आएं। लेकिन किसी भी योजना के क्रियान्वयन होने पर झूठी वाहवाही लेने छाती खोल जरूर खड़े हो जाते हैं।
मेडिकल कॉलेज के नाम पर ली थी झूठी वाहवाही
इससे पहले कोरबा में शुरू हुए मेडिकल कॉलेज के शुभारंभ मौके पर भी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने झूठी वाहवाही लेते पूरे शहर भर में अपने पैसे खर्च कर अपना सम्मान करवाया था। जबकि लाइफ लाइन एक्सप्रेस के शुभारंभ मौके पर 12 अक्टूबर 2019 को पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ तौर पर मंच से कहा था कि मैं अपनी भाभी (कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत) की मांग पर कोरबा में मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए घोषणा करता हूं। इसके बाद हुई देरी के लिए कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने दर्जनों पत्राचार किया जिसके बाद शुभारंभ मौके पर भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से सांसद को ही मुख्य अतिथि बना मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ कराया गया।
ट्रांसपोर्ट नगर का राजस्व मंत्री ने किया था भूमिपूजन पर आज तक बन न सका
कोरबा के विकास में अवरुद्ध रहे मंत्री जयसिंह अग्रवाल का और और कारनामा आपको बताते है। मंत्री ने साल 2019 में प्रशासनिक अधिकारियों की आपत्ति के बावजूद बरबसपुर में ट्रांसपोर्ट नगर का भूमिपूजन सिर्फ इसलिए कर दिया था क्योंकि यहां उनके रिश्तेदारों और नजदीकों की जमीन ट्रांसपोर्ट नगर आने से बेशकीमती हो जाए। लेकिन मापदंडों पर खरा नहीं उतर रहा बरबसपुर आज तक ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बसा सका है। वहीं मेडिकल कॉलेज को भी मंत्री चाहते थे पुराना केएसपीएम यूनिट के भीतर ही स्थापित हो इसके लिए उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के साथ फील्ड विजिट भी किया था लेकिन वो जगह भी उपयुक्त नहीं निकली जिसके बाद मेडिकल कॉलेज उसी झगरहा में बन रहा है जहां उसे पहले बनना तय किया गया था लेकिन इससे करीब 2 माह अधिकारियों का समय बर्बाद हुआ। वैसे ही चोर भट्टी का नाम आज तक परिवर्तित नहीं हो सका है।
बदजुबानी के लिए प्रदेश में अलग पहचान रखते है मंत्री
कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल प्रदेश में अपनी बदजुबानी के लिए अलग पहचान बनाए हुए है। चुनावी साल में वो अपनी भाषा पर पकड़ जरूर रखे है लेकिन उनके किस्से किसी भी प्रशासनिक अधिकारी और आम जनमानस से सुने जा सकते है। अपने घर पहुंचने वाले फरियादियों से कभी विनर्म होकर बात करते कभी उनको किसी ने नहीं सुना होगा। यहां तक कि कार्यकर्ताओं से भी बातचीत का लहजा उनका अभद्र रहा है। सामान्य ज्ञान के मामले में उनका स्तर रायपुर के एक रिपोर्टर द्वारा लिए गए इंटरव्यू में सबने देखा ही था। हालाकि एक कुशल ठेकेदार के रूप में वो स्थापित जरूर है इसलिए शहर में उनको सेठ जी का ओहदा मिला हुआ है।