भीमा हत्याकांड की न्यायिक जांच
सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश अग्निहोत्री होंगे जांच समिति के अध्यक्ष
रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा विधानसभा क्षेत्र के विधायक स्वर्गीय भीमा मंडावी की नक्सलियों के द्वारा चुनाव के दो दिन पूर्व किए गए हत्या कांड की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने पर सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार अग्निहोत्री ने अपनी सहमति दी है।
सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश श्री अग्निहोत्री ने इस संबंध में आज राज्य शासन को अपनी सहमति प्रेषित की है। उल्लेखनीय है कि दंतेवाड़ा जिले के श्यामगिरी क्षेत्र में 9 अप्रैल को एक नक्सली वारदात में विधायक भीमा मंडावी के वाहन को बारूदी सुरंग से उड़ा दिया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके उपरांत इस घटना की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की थी।
छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर लोकसभा में 11 अप्रैल को मतदान था। पहले चरण का प्रचार 9 अप्रैल को खत्म होना था, इस दिन भीमा मंड़ावी प्रचार कर दोपहर 1.30 बजे दंतेवाड़ा लौट आए थे। उस दौरान सुरक्षा कर्मी उनके साथ थे। चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद श्री मंडावी ने सुरक्षा कर्मियों को लौटा दिया था। उसके बाद उन्हें फोन आने पर वे बिना सुरक्षा के ही किरंदूल रवाना हो गए। इस दौरान पुलिस ने उनहें रोकने की कोशिश भी की थी पर वे तीन वाहनों के साथ चुनाव प्रचार करने निकल गए। श्री मंडावी कुआकोण्डा ब्लॉक के श्यामगिरी गांव में चुनावी सभा को संबोधित करने के बाद नकुलनार लौट रहे थे। इसी दौरान सड़क पर नक्सलियों द्वारा लगाए गए लैंडमाइंस विस्फोट से उनका वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। जिसमें मंडावी की मौके पर ही मौत हो गई। वाहन में सवार चार जवान भी शहीद हो गए।
भाजपा व परिजनों ने की थी सीबीआई जांच की मांग
घटना के बाद मंडावी की पत्नी ने सार्वजनिक रूप से पति की हत्या को राजनीतिक साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। उनके पिता ने भी साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वयं एवं भाजपा की ओर से भीमा मंडावी की नक्सल हत्या को राजनीतिक साजिश करार देते हुए सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी। भाजपा ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
निर्वाचन आयोग से मांगी गई थी अनुमति
ज्ञात हो कि चुनाव आचार संहिता प्रभावशील होने के कारण मुख्य सचिव सुनील कुजूर की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में नक्सल घटना को लेकर न्यायिक जांच आयोग के गठन की अनुमति के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को प्रस्ताव भेजा गया था। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव संम्पन्न होने के बाद समिति का गठन किया गया है।
कई मामलों की जांच अब भी अधूरी
राज्य में नक्सल घटनाओं से संबंधित कई मामलों की जांच अब भी अधूरी है। नक्सल हिंसा से जुड़ी कई वारदात की जांच के लिए बने न्यायिक जांच आयोग की अवधि कई बार बढ़ाई जा चुकी है, पर तय समय में जांच में पूरी नहीं हो सकी है। दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार क्षेत्र में हुई नक्सली व पुलिस मुठभेड़ और आगजनी की घटना की न्यायिक जांच आयोग को तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी, पर अब नहीं सौंपी गई । इसी तरह झीरमघाटी नक्सली हमले की जांच में अब भी सुनवाई जारी है।
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