February 5, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
विशेष लेख वार्ड 26 : जब पोंकू के खिलाफ हो गए थे उनके ही पार्टी के नेता, मंत्री ने एक सांस में की मांगे पूरी, लेकिन टिकट की जोड़तोड़ ने माहौल बिगाड़ा…कल विशाल आमसभा को संबोधित करेंगे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव सायनामांकन के आखरी दिन कांग्रेसी नेता ने मचाया हंगामा, पुलिस ने दर्ज किया मामला…लखमा की रिमांड समाप्त, आज फिर होगी कोर्ट में पेशी…नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को उतारा मौत के घाटग्राम पंचायत कोट में चुनाव बहिष्कार: किसी ने नहीं भरा नामांकनयुवा मोर्चा जिला महामंत्री नरेंद्र देवांगन ने किया चुनावी नुक्कड़ सभा को संबोधित।ड्यूटी पर बलरामपुर जा रहे कृषि विभाग के उप संचालक की मौतनगरीय निकाय-पंचायती चुनाव के मद्देनजर बस्तर जिले की पुलिस अलर्ट मोड मेंनक्सलियों को अवैध हथियार व विस्फोटक की आपूर्ति करने वाले 4 गिरफ्तार
अन्तर्राष्ट्रीय

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के कहा कि धरती को बचाना है, तो कम करना होगा मांसाहार

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन सहित धरती की बड़ी समस्याओं का मुकाबला करना है, तो लोगों को मांसाहार छोड़कर शाकाहार को अपनाना होगा। यह बात ‘ऑप्शन्स फॉर कीपिंग द फूड सिस्टम विदिन एन्वायरमेंटल लिमिट्स’ नाम के अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि सभी के लिए साल 2050 में सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए अहम कदम रेड मीट का उपभोग कम करना है।
इसके साथ ही खाने की बर्बादी को कम करने की जरूरत है और कृषि कार्य में सुधार करने की जरूरत होगी। लोगों को 75 फीसद तक मांसाहार में कमी लानी होगी। इसके साथ ही सुअर के मांस को खाने में 90 फीसद की कमी और अंडों की संख्या आधी करनी होगी। इसके साथ ही दालों-बीन्स की खपत को तीन गुना तक और नट्स व सीड्स की खपत को चार गुना बढ़ाना होगा।
नेचर’ जर्नल में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इससे पशुधन की वजह से होने वाला उत्सजर्न आधा हो जाएगा। अध्ययन के शीर्ष लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के डॉक्टर मार्को स्प्रिंगमन ने कहा कि हम सभी बहुत प्रकार के स्वस्थ्य भोजन कर सकते हैं। मगर, हालिया वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर उस सभी में एक बात समान है कि वे सभी पेड़-पौधों पर आधारित हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि अगर हम इस तरह की डाइट को लेना शुरू करते हैं, तो कृषि से ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव आधा से कम हो जाएगा। लेखकों के अनुसार, फूड सिस्टम से महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिए अहम कारक की भूमिका निभाते हैं। नाइट्रोजन और फास्फोरस के अधिक इस्तेमाल से वह प्रदूषण फैलाते हैं और ताजे पानी को खराब करते हैं।

gramyatracg

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close