June 28, 2025 |

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बस्तर से एक और सरगुजा से दो ही मंत्रीः तूफान से पहले की शांति

Gram Yatra Chhattisgarh
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के नौ मंत्रियों की कल जो घोषणा हुई बस्तर का मामला चौंकाने वाला रहा। बस्तर से एक ही कवासी लखमा मंत्री बनाए गए। इस नाम ने हैरत में भी डाला। इसलिए कि मंत्री बनने की संभावना लखेश्वर बघेल एवं मनोज मंडावी के नाम पर ज्यादा जताई जा रही थी।
बस्तर में इस समय एक ही बात होती दिख रही है कि आदिवासियों के इस गढ़ से एक और किसी को जरूर मंत्री बनाया जाना चाहिए था। उधर रामानुजगंज से दूसरी बार जीतकर आए कांग्रेस विधायक वृहस्पत सिंह कहते हैं- जब सरगुजा संभाग की सभी 14 की 14 सीटों पर कांग्रेस जीतकर आई है तो यहां से दो की जगह तीन को मंत्री बनाया जाना चाहिए था।
बस्तर की 12 में से 11 सीटों पर कांग्रेस जीतकर आई है। लखमा के मंत्री बनने के बाद भले ही वहां के अन्य विधायक खुले तौर पर कुछ कहते नजर नहीं आ रहे हों, लेकिन जो असंतोष का वातावरण बना है उस पर बस्तर के कांग्रेसियों में आपस में खुलकर बात जरूर हो रही है।
2000 से 2003 के बीच कांग्रेस शासनकाल में मंत्री रहे मनोज मंडावी के सैकड़ों समर्थक यह मान बैठे थे कि उनका नेता मंत्री बनने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक उन समर्थकों ने शपथ में शामिल होने रायपुर आने की तैयारी भी कर ली थी।
24 दिसंबर की देर रात जब यह स्पष्ट हो गया कि मंडावी मंत्री नहीं बन रहे, उनके समर्थकों की नाराजगी सतह पर आने लगी। सूत्रों के अनुसार मंडावी ने समर्थकों को समझाते हुए कहा भी था मंत्री बनना या नहीं बनना जीवन में चलते रहता है लेकिन वे लोग नहीं माने और रायपुर नहीं आए।
चर्चा तो यह है कि लखेश्वर बघेल एवं मोहन मरकाम जैसे विधायक  नाराजगी की वजह से रायपुर में रहकर भी मंत्री मंडल के शपथ समारोह में नहीं दिखे। वहीं मनोज मंडावी मान मनौव्वल के बाद बड़ी मुश्किल से समारोह में पहुंचे।
बस्तर में यह भी चर्चा है कि मंत्री पद के लिए लखेश्वर बघेल का नाम तय था। अंतिम समय में लखमा के नाम पर चौंकाने वाला फैसला ले लिया गया और बघेल किनारे हो गए। बस्तर के एक मुखर विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सारी खुशियां दरकिनार हो गई हैं। बस्तर की उपेक्षा के बाद ऐसा कहीं से महसूस नहीं हो रहा हमारी अपनी सरकार आ गई। 
सरगुजा तरफ से टी.एस. सिंहदेव एवं प्रेमसाय सिंह टेकाम मंत्री बने हैं और उधर भी नाराजगी का अंदाज बस्तर से ही मिलता-जुलता नजर आ रहा है। उधर के कुछ स्थापित नेताओं की राय है कि सरगुजा संभाग में 14 में 14 एवं बस्तर संभाग में 12 में से 11 सीटों पर पार्टी को मिली जीत को ध्यान में रखते हुए सरगुजा से 3 व बस्तर से 2 को मंत्री तो बनाया ही जाना चाहिए था।
विशेषकर सरगुजा से अमरजीत भगत जैसे सीनियर विधायक के मंत्री बनते बनते रह जाने से अधिकतर लोग हैरान हैं। दुर्ग संभाग से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा रविन्द्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, रुद्र गुरु एवं श्रीमती अनिला भेंडिया को मंत्री पद मिला है।
इस तरह दुर्ग संभाग से मंत्री बनने का आंकड़ा 5 पर है। दूसरी तरह रामपुकार सिंह, सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू एवं अमितेष शुक्ल जैसे नेता जो मंत्री पद के प्रबलतम दावेदार थे वे भी किनारे लग गए और इन सबकी नाराजगी कल शपथ ग्रहण समारोह वाले दिन खुले तौर पर देखने मिल चुकी है।

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