पौने बारह करोड़ खर्च करने के बाद 75 फीसदी पौधे नष्ट बाड़ी से डीजल निकला नहीं पर रतनजोत खाकर बच्चे बीमार
बिलासपुर। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2००6 में डीजल नहीं अब खाड़ी से, तेल मिलेगा बाड़ी से स्लोगन देकर रतनजोत से डीजल निकालने की योजना शुरू की थी। इसके लिए रतनजोत के 2.25 करोड़ पौधे लगाए थे। इस पर करीब 11.75 करोड़ रुपए खर्च आया था। वर्तमान में इन पौधों में से 75 फीसदी नष्ट हो चुके हैं। बाड़ी से तेल तो नहीं मिला। इसे खाकर बच्चे जरूर बीमार पड़ रहे हैं। लिहाजा यह योजना पूरी तरह फ्लाप शाबित हो गई है।
ग्रामीण अंचल में रतनजोत के पौधे जैसे ही बड़े होकर फल (बीज) देने लगे वैसे ही बच्चों के लिए मुसीबत शुरू हो गई। स्कूल, आंगनबाड़ी या गांव में खेलते हुए बच्चे खाने वाला फल समझकर रतनजोत के बीच को खा जाते हैं, जिसके बाद उसके दुष्प्रभाव से बीमार हो जाते हैं। जिले में ऐसी कई घटनाएं हुई। जिसके बाद स्कूल व आंगनबाड़ी समेत घर के आसपास लगे रतनजोत के पौधों को लोगों ने ही उखाड़ फेंका। कुल मिलाकर योजना भी फ्लाप हो गई है।
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० बीज संग्रहण से होना था मुनाफा
वनविभाग ने बायोफ्यूल के लिए रतनजोत के बीज से तेल निकालने प्रसंस्करण कक्ष बनाया था। जहां बायोफ्यूल अथॉरिटी ने मशीन की सप्लाई भी की थी, लेकिन मशीन टेस्टिंग न होने व ऑपरेटिग सिस्टम की जानकारी नहीं होने के कारण तेल
निकालने संयंत्र ही नहीं खुल सका। योजना के तहत वनवासी ग्रामीण रतनजोत के पौधे से बीज संग्रहण करते व मशीन से तेल निकालकर मुनाफा कमाते। पर ऐसा नहीं हुआ।
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