July 31, 2025 |

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पुलवामा हमलाः ‘इतना ज़्यादा विस्फ़ोटक पाकिस्तान से नहीं आ सकता’

Gram Yatra Chhattisgarh
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14 फ़रवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर हमला हुआ, जिसमें 40 से ज़्यादा जवान मारे गए. हमले की ज़िम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली है.
इस हमले के बाद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई क्या होनी चाहिए, इस हमले के पीछे की अन्य वजहों पर बहसें छिड़ गई हैं.
इस तरह के तमाम सवालों के बीच रक्षा विशेषज्ञ और कश्मीर में कार्यरत रहे कई सेना के अधिकारियों ने भी अपनी राय साझा की है. साथ ही ये भी बताया है कि भारत को किस तरह इस मामले से निपटना चाहिए.
ए.एस दुलतः 1965 बैच के आईपीएस ऑफ़िसर ए. एस दुलत रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख रह चुके हैं. रविवार को उन्होंने पुलवामा हमले पर कहा कि भारत को इस हमले के जवाब में ‘आक्रामक कार्रवाई’ के बजाय ‘आक्रामक कूटनीति’ अपनानी चाहिए.
दुलत ने कहा, ”कूटनीति का रास्ता अपनाना बेहद ज़रूरी है. अमरीका ने हमें पहले ही समर्थन दे दिया है. कूटनीति की दिशा में जबाव देना एक बेहतर उपाय है, ऐसे ही साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध और 2001 में हुए संसद हमले के बाद हमने अपनायी थी. हमें अक्रामक कूटनीति अपना कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देना चाहिए.”
दुलत इंटेलीजेंस ब्यूरो के विशेष डायरेक्टर रह चुके हैं. दुलत देश में कश्मीर मामले के बड़े जानकारों में से एक हैं. उन्होंने हाल ही में कश्मीर पर एक किताब ‘द स्पाई क्रॉनिकलः रॉ, आईएसआई और इल्यूज़न ऑफ़ पीस’ लिखी है जिसमें वाजपेयी कार्यकाल में कश्मीर में क्या हालात थे इसका ज़िक्र है.
इस हमले पर आगे कहा, ”मैंने हमेशा दोनों देशों के बीच संवाद की वकालत की है. लेकिन पुलवामा हमले के बाद अगर मैं संवाद की बात करता हूं तो मुझे ‘देश-विरोधी’ कहा जाएगा.”
सेना को कार्रवाई की खुली छूट दिए जाने वाले बयान पर उन्होंने कहा, ” सेना को जो उचित लगता है वो वैसा करने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप किसी के घर में घुसें और लोगों की हत्या कर दें. इसका ये मतलब है कि जब आप पर हमला हो तो आप जवाबी कार्रवाई करें. ”
अलगाववादी नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस लेने के फ़ैसले पर दुलत ने कहा, ”सच्चाई ये है कि कुछ अलगाववादी नेताओं को खतरा है तो कुछ अलगाववादी नेताओं की हत्या भी हो चुकी है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी गई थी. अगर आप सुरक्षा हटाते हैं तो उनपर ये हमले दोबारा हो सकते हैं. ”
”जैश पिछले कुछ साल से शांत था लेकिन अब पिछले दो साल में ये संगठन वापस सक्रिय हो चुका है. ”
लेफ़्टिनेंट जनरल डी.एस हुड्डा ने पुलवामा हमले पर कहा, ”ये संभव नहीं है कि इतनी ज़्यादा मात्रा में विस्फ़ोटक सीमापार से आ जाए. ”
पूर्वी उत्तरी कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने साल 2016 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक की थी जिसका नेतृत्व हुड्डा ने किया था.
हुड्डा ने आगे कहा, ”यह विस्फोटक छुपा कर ले जाया गया होगा, जिसे इस हमले में इस्तेमाल किया गया. हमें पड़ोसी देश के साथ अपने रिश्तों को लेकर दोबारा सोचने की ज़रूरत है.”
पुलवामा हमले के पीछे की वजहों पर पूर्व रॉ चीफ़ विक्रम सूद का कहना है कि इस हमले में सुरक्षा मामलों में बड़ी चूक हुई है.
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ”ये हमला बिना किसी सुरक्षा चूक के नहीं हो सकता था. मुझे नहीं पता कि आखिर गलती कैसे हुई लेकिन ऐसी घटनाएं बिना सुरक्षा में गड़बड़ियों के नहीं हो सकती. ”

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