छत्तीसगढ़ में खुला 1800 साल पुरानी सभ्यता का रहस्य, यहां खुदाई में मिल रहे मौर्यकाल के अवशेष
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 1800 साल पुरानी प्राचीन काल की सभ्यता के रहस्य से पर्दा उठने की संभावना जताई जा रही है। यहां पुरातत्व विभाग द्वारा मौर्य काल तथा सोमवंशी काल के अवशेष मिलने की संभावना है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित आरंग के पास रींवा में पुरातत्व विभाग ने खुदाई का काम शुरू कर दिया हैं। सूत्रों की माने तो खुदाई के दौरान यहां कई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद की जा रही है।
आरंग के पास रींवा ग्राम में संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने शुक्रवार को पुराने अवशेषों की तलाश के लिए उत्खनन कार्य शुरू कर दिया है। इस खुदाई के पहले ही दिन पुरातत्व विभाग को बड़ी सफलता मिली है, एक फीट की खुदाई पर ही यहां 1800 साल पुरानी ईंटें मिली हैं।
विभाग के संचालक अनिल साहू ने बताया कि प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद इस स्थल का चयन किया गया है। यहां पर पहली और दूसरी सदी के अवशेष मिलने की संभावनाएं हैं। रींवा गांव में मिट्टी के प्रकार तथा पारिखा युक्त प्राचीन गढ़ तथा बसाहट के विलुप्त अवशेष भी बचे हुए हैं। यह जगह लगभग 6वीं सदी ईसवी में महत्वपूर्ण प्रशासनिक तथा व्यापारिक स्थल रहा होगा।
रींवा उत्खनन निदेशक पद्मश्री सम्मान प्राप्त डॉ अरूण कुमार शर्मा के निर्देशन में विभाग द्वारा इस स्थल का सर्वेक्षण किया गया है। यहां मौर्य काल में बसाहट आरंभ हो चुका था तथा सोमवंशी शासकों के काल में यहां विहार तथा मंदिरों का निर्माण कराया होगा। इस खुदाई में लोक पूजा के स्तूपों के मिलने की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।
मौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश क्षत्रिय वंश था। इसने 137 वर्ष में भारत में राज किया। इसकी स्थापना का श्रेय चंद्रगुप्त मौर्य को और उनके मंत्री कौटिल्य को दिया जाता है। जिन्होने नंद वंश के सम्राट को पराजित किया था। मौर्य सम्राज्य के विस्तार एवं उसके शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है।
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