आचार्य विद्यासागर ने एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया : अमित शाह
गृहमंत्री शाह समाधि स्मृति महोत्सव व सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में हुए शामिल
राजनांदगांव (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को राजनांदगांव में आचार्य विद्यासागर महाराज के ‘प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव’ एवं सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने ₹100 के स्मारक सिक्के, ₹5 के विशेष डाक लिफाफे, 108 चरण चिन्हों और चित्रों का लोकार्पण किया तथा प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ का शिलान्यास किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा और मुनि समता सागर महाराज सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज एक युग पुरुष थे, जिन्होंने एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जन्मे आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महामुनिराज अपने कर्मों से भारत, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाएँ और भारत की पहचान के ज्योतिर्धर बने। शाह ने कहा कि शायद ही यह सम्मान किसी ऐसे धार्मिक संत को मिला होगा, जिन्होंने धर्म के साथ-साथ देश की पहचान की व्याख्या विश्व भर में की हो।
शाह ने कहा कि उन्हें कई बार आचार्य विद्यासागर का सान्निध्य मिला और हर बार आचार्य जी ने भारतीय भाषाओं के संवर्धन, देश के गौरव का विश्वभर में प्रसार और देश की पहचान ‘इंडिया’ की बजाय ‘भारत’ से होने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिख कर, मोदी ने विद्यासागर महाराज के विचारों को जमीन पर उतारने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य जी के विचार को जरा भी राजनीति किए बगैर जमीन पर उतारा और उनके संदेश का अनुकरण करने का काम किया।
आचार्य जी ने जीवन के अंतिम क्षण तक तपस्या का मार्ग नहीं छोड़ा। उन्होंने न केवल जैन धर्म के अनुयायियों को बल्कि जैनेत्तर अनुयायियों को भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से मोक्ष का मार्ग बताने का काम किया। यह बोलने वाले बहुत लोग मिलते हैं कि धर्म, राष्ट्र और समाज के लिए जीवन का हर क्षण समर्पित होना चाहिए। लेकिन पूरा जीवन इसी तरह जीने वाले लोग कभी-कभार ही दिखते हैं और आचार्य जी का जीवन ऐसा ही रहा। उन्होंने कहा कि आचार्य जी ने ‘अहिंसा परमो धर्म:’ के सिद्धांत की समय अनुकूल व्याख्या कर पूरे विश्व में इसे स्थापित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने जैन धर्म के सिद्धांत के अनुरूप इस बात का ख़याल रखा कि उनके शिष्य भी उन्हीं सिद्धांतों पर जीवन व्यतीत करें।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘अहिंसा परमो धर्म:’ के सिद्धांतों का प्रचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस अवसर के लिए स्मारक सिक्का और विशेष लिफाफा की स्वीकृति देने के लिए वह मोदी जी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य जी को दी गई यह कार्यांजलि संत परंपरा का सम्मान है। उन्होंने कहा कि आचार्य जी का प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ युगों-युगों तक आचार्य जी के सिद्धांतों, संदेशों और उपदेशों के प्रचार का स्थान बनकर रहेगा। श्री शाह ने कहा कि जिस संत ने अपना पूरा जीवन विद्या की उपासना में बिताया, उनकी समाधि का नाम ‘विद्यायतन’ के अलावा कुछ और नहीं हो सकता।
अमित शाह ने कहा कि इस अवसर पर मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में निः शुल्क कन्या विद्यालय का भी शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि इस विद्यालय में कौशल विकास और रोजगार दोनों सम्मिलित होंगे और अध्यापन कार्य मातृभाषा में होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य जी के 108 चरण चिह्नों का भी लोकार्पण हुआ है, जो त्याग, तपस्या और संयम के जीवन का संदेश देंगे।
उन्होंने कहा कि विद्यासागर जी का जीवन त्याग, तपस्या और संयम का प्रतीक था, और उनका प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके विचारों और संदेशों का केंद्र बनेगा।
भारत की समृद्ध संत परंपरा पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि देश को एकजुट करने में जैन मुनियों की अहम भूमिका रही है, जिन्होंने ‘अहिंसा परमो धर्मः’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांतों को विश्व पटल पर स्थापित किया।
अंत में उन्होंने आचार्य जी के अमूल्य योगदान को नमन करते हुए कहा कि उनका लेखन और प्रवचन पूरे राष्ट्र के लिए धरोहर हैं, जिनका संरक्षण और संवर्धन करना हम सभी का कर्तव्य है।