August 2, 2025 |

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छत्तीसगढ़

अमित जोगी ने कांग्रेस प्रवेश की संभावनाओं को नकारा पांच कारणों से सिरे से खारिज करता हूं-जोगी

Gram Yatra Chhattisgarh
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रायपुर। मरवाही के पूर्व विधायक अमित जोगी ने एक बार फिर कांग्रेस प्रवेश की संभावनाओं को नकारा है। उन्होंने ट्वीट किया है कि पिछले कुछ दिनों से जोगी-परिवार और हमसे जुड़े लोगों की कांग्रेस-वापसी की चर्चाओं को कुछ लोग बेवजह तूल दे रहे है। ऐसी चर्चाओं को मैं पांच कारणों से सिरे से खारिज करता हूं।
पहला कारण- बहुत कम समय और बेहद कम संसाधनों के बावजूद छत्तीसगढ़ के इतिहास का पहला और एकमात्र मान्यता-प्राप्त क्षेत्रीय दल के रूप में स्थापित हो चुका है। ये किसी भी दृष्टि से छोटी उपलब्धि नहीं है। ऐसे में हमारे दल का किसी भी राष्ट्रीय पार्टी से विलय करना सरासर मूर्खता होगी- क्योंकि हमारा मानना है कि हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव का परिणाम एक अपवाद था और इतना तय है कि भविष्य में सरकार या तो हम खुद अपने दम पर बनाएंगे या फिर हमारे समर्थन के बगैर कोई दूसरे दल की सरकार प्रदेश में नहीं बनेगी।
दूसरा कारण- चीनी कूटनीतिज्ञ सुन-ज़ू की ‘द ऑर्ट ओफवॉर’ में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सही मायने में योद्धा वो है जो जानता है कि कौन सी जंग उसे नहीं लडऩी चाहिए। हमने बड़ी सोच-समझ के लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे का निर्णय लिया क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि प्रदेश में भाजपा-विरोधी वोट बांटे और हमपर फिर से भाजपा की बी-टीम होने का बेबुनियाद आरोप मढ़ा जाए, लेकिन इसमें किसी को संदेह नहीं रहना चाहिए कि आने वाले स्थानीय नगरी निकाय और पंचायत चुनाव में हमें छत्तीसगढ़ के एक-एक वार्ड में अपनी टीम तैयार करने का मौका मिलेगा और इसी के आधार पर हम अगला विधानसभा लड़ेंगे और जीतेंगे।
तीसरा कारण- कांग्रेस अपने दम पर केंद्र में सत्ता में आते हुए नहीं दिख रही है। अगर गलती से मोदी जी दोबारा प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनका सीधा-सीधा प्रहार नेहरू-गांधी-वाड्रा परिवार पर होगा। बिना इस परिवार के संरक्षण के वर्तमान का नेतृत्व और ज्यादा अप्रासंगिक और अविश्वसनीय हो जाएगा। 68 सीटों के बाद कांग्रेस का ग्राफ अब नीचे ही जा सकता है। चार महीने में वैसे भी शहरी और साहू मतदाता वापस की ओर अपना रूख कर चुके हैं।
चौथा कारण-अगर क्षेत्रीयता-जिसका पर्याय ‘छत्तीसगढ़-प्रथम विचारधारा’ से है-की जड़ें प्रदेश में मजबूत करनी है तो राष्ट्रीय दल के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता है। जिन लोगों को जाना था, वो चले गए। उनमें से अधिकांश लोग फिर से सम्पर्क साधने के बहाने तलाश रहे हैं क्योंकि उनकी कांग्रेस में स्थिति ’न घर की और न घाट की’ जैसी बन चुकी है, लेकिन हमने भी तय कर लिया है कि ऐसे लोगों को दोबारा मौका नहीं देना है। जो जहां है, वहीं रहे। उनके कांग्रेस में बने रहने से गुटबाजी और असंतोष, दोनों तेजी से पनपेगा और इसका सीधा फायदा हमें मिलेगा।
पांचवा कारण- हमें छत्तीसगढ़ के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसे नेता तैयार करने का अवसर मिला है जिनका ‘छत्तीसगढ़ माहतारी’ से लगाव का कारण केवल सत्ता-सुख भोगना और प्रदेश के संसाधनों का अपने निजी स्वार्थ के लिए दोहन करना न रहे बल्कि सैद्धांतिक, वैचारिक और आत्मिक हो। अगर हम अगले चार सालों में प्रदेश की हर विधानसभा में ऐसे सौ नौजवान भी तैयार कर लेते हैं तो भविष्य हमारा- मतलब छत्तीसगढिय़ों- का ही होगा।

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