भिलाई।वैशाली नगर विधानसभा सीट रिश्तेदारी के बीच में फस गई है। अब भाजपा की राष्ट्रीय पदाधिकारी सरोज पांडे के भाई राकेश पांडे के प्रत्याशी बनाए जाने की संभावनाएं क्षीण हो चुकी है। यहां से पार्टी किसी नए चेहरे की तलाश कर रही है।कल जारी भाजपा की सूची में वैशाली नगर की सीट पर कोई फैसला नहीं हो सका ।इस सीट से राकेश पांडे का नाम आगे बढ़ाया गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं, लिहाजा पहले ही चरण में सीट पर घोषणा रुक गई ।अब यहां किसी नए चेहरे की तलाश की जा रही है। कहा यह भी जा रहा है कि भिलाई नगर और वैशाली नगर दोनों सीटों पर ब्राम्हण कैंडिडेट लाना रणनीतिकारों को जोखिम भरा फैसला लग रहा था। हालांकि कल जारी सूची में अनेक क्षेत्रों में विकल्प का संकट नजर आया है। यही वजह है कि पार्टी ने पिछली बार के पराजित प्रत्याशियों को फिर मौका दे दिया ।वहीं कुछ ऐसे प्रत्याशी भी उतार दिए गए जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि वह अनुकूल परिणाम नहीं दे पाएंगे ।इनमें सरगुजा और बैकुंठपुर इलाके की मंत्रियों की सीट भी शामिल हैं।दूसरी ओर चंद्रपुर जैसी सीट पर जूदेव का भारी विरोध देखने को मिला था लेकिन वहां युद्धवीर सिंह की जगह उनकी धर्मपत्नी को टिकट दे दिया गया है। यह प्रयोग पार्टी के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है ।इसी तरह का प्रयोग रायगढ़ जिले की लैलूंगा सीट पर भी किया गया है ।यह फार्मूला पार्टी को 60 प्लस का लक्ष्य शायद ही दे पाए ।अंबिकापुर में भी परिणाम आशाजनक आने की उम्मीद कम है ,क्योंकि अनुराग सिंह देव पिछले दो चुनाव में पराजित हो चुके हैं। वहां से टीएस सिंहदेव इस बार मजबूत स्थिति में हैं।इस बार वहां भाजपा के पास कोई बेहतर विकल्प नहीं था। पार्टी की दिक्कत यह है कि 15 साल सत्ता रहने में रहने के बाद भी नए चेहरे तैयार नहीं किए जा सके। अब जब चुनाव का वक्त है तब नए चेहरों की तलाश की जा रही है। पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता यह सवाल पूछ सकते हैं कि फिर उन्हीं चेहरों को मौका दिया गया तो पार्टी नए चेहरे कब तलाशेगी। अब तक जो सूची जारी हुई है उसे देख कर तो नहीं कहा जा सकता कि यह 65 प्लस के लक्ष्य की सूची है ।अभी कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची आना बाकी है उसके बाद ही अंदाजा लग सकेगा कि दोनों में से किस के प्रत्याशी बेहतर है।
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