November 14, 2024 |

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रोचक तथ्य

जानें किन्नरों से जुड़ी रोचक तथ्य, जिसे जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Gram Yatra Chhattisgarh
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किन्नर समुदाय समाज से अलग ही रहता है और इसी कारण आम लोगों में उनके जीवन और रहन-सहन को जानने की जिज्ञासा बनी रहती है. किन्नरों का वर्णन ग्रंथों में भी मिलता है. यहां जानिए किन्नर समुदाय से जुड़ी कुछ खास बातें
ज्योतिष के अनुसार वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) उतपन्न होता है. रक्त (रज) की अधिकता से स्त्री (कन्या) उतपन्न होती है. वीर्य और राज़ समान हो तो किन्नर संतान उतपन्न होती है.
महाभारत में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञात वास काट रहे थे, तब अर्जुन एक वर्ष तक किन्नर वृहन्नला बनकर रहा था.
पुराने समय में भी किन्नर राजा-महाराजाओं के यहां नाचना-गाना करके अपनी जीविका चलाते थे. महाभारत में वृहन्नला (अर्जुन) ने उत्तरा को नृत्य और गायन की शिक्षा दी थी.
किन्नर की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे समय को दूर कर सकती हैं. धन लाभ चाहते है तो किसी किन्नर से एक सिक्का लेकर पर्स में रखे.
एक मान्यता है कि ब्रह्माजी की छाया से किन्नरों की उत्पत्ति हुई है. दूसरी मान्यता यह है कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उतपत्ति हुई है.
पुरानी मान्यताओं के अनुसार शिखंडी को किन्नर ही माना गया है. शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था.
यदि कुंडली में बुध गृह कमजोर हो तो किसी किन्नर को हरे रंग की चूड़ियां व साडी दान करनी चाहिए. इससे लाभ होता है.
किसी नए वयक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने के भी नियम है. इसके लिए कई रीती-रिवाज़ है, जिनका पालन किया जाता है. नए किन्नर को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है.
फिलहाल देश में किन्नरों की चार देवियां हैं.
कुंडली में बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योगों से व्यक्ति किन्नर या नपुंसक हो सकता है.
किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है.
किन्नरों की जब मौत होती है तो उसे किसी गैर किन्नर को नहीं दिखाया जाता. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से मरने वाला अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा. किन्नर मुर्दे को जलाते नहीं बल्कि दफनाते हैं.
हिंजड़ों की शव यात्राएं रात्रि को निकाली जाती है. शव यात्रा को उठाने से पूर्व जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है.किन्नर के मरने उपरांत पूरा हिंजड़ा समुदाय एक सप्ताह तक भूखा रहता है.
किन्नर समुदाय में गुरू शिष्य जैसे प्राचीन परम्परा आज भी यथावत बनी हुई है. किन्नर समुदाय के सदस्य स्वयं को मंगल मुखी कहते है क्योंकि ये सिर्फ मांगलिक कार्यो में ही हिस्सा लेते हैं मातम में नहीं .
किन्नर समाज कि सबसे बड़ी विशेषता है मरने के बाद यह मातम नहीं मनाते हैं. किन्नर समाज में मान्यता है कि मरने के बाद इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है. इसीलिए मरने के बाद हम खुशी मानते हैं . ये लोग स्वंय के पैसो से कई दान कार्य भी करवाते है ताकि पुन: उन्हें इस रूप में पैदा ना होना पड़े.
देश में हर साल किन्नरों की संख्या में 40-50 हजार की वृद्धि होती है. देशभर के तमाम किन्नरों में से 90 फीसद ऐसे होते हैं जिन्हें बनाया जाता है. समय के साथ किन्नर बिरादरी में वो लोग भी शामिल होते चले गए जो जनाना भाव रखते हैं.
किन्नरों की दुनिया का एक खौफनाक सच यह भी है कि यह समाज ऐसे लड़कों की तलाश में रहता है जो खूबसूरत हो, जिसकी चाल-ढाल थोड़ी कोमल हो और जो ऊंचा उठने के ख्वाब देखता हो. यह समुदाय उससे नजदीकी बढ़ाता है और फिर समय आते ही उसे बधिया कर दिया जाता है. बधिया, यानी उसके शरीर के हिस्से के उस अंग को काट देना, जिसके बाद वह कभी लड़का नहीं रहता.
अब देश में मौजूद पचास लाख से भी ज्यादा किन्नरों को तीसरे दर्जे में शामिल कर लिया गया है. अपने इस हक के लिए किन्नर बिरादरी वर्षों से लड़ाई लड़ रही थी. 1871 से पहले तक भारत में किन्नरों को ट्रांसजेंडर का अधिकार मिला हुआ था. मगर 1871 में अंग्रेजों ने किन्नरों को क्रिमिनल ट्राइब्स यानी जरायमपेशा जनजाति की श्रेणी में डाल दिया था. बाद में आजाद हिंदुस्तान का जब नया संविधान बना तो 1951 में किन्नरों को क्रिमिनल ट्राइब्स से निकाल दिया गया. मगर उन्हें उनका हक तब भी नहीं मिला था.
आमतौर पर सिंहस्थ में 13 अखाड़े शामिल होते हैं, लेकिन इस बार एक नया अखाड़ा और बना है. ये अखाड़ा है किन्नर अखाड़ा. किन्नर अखाड़े को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं. इस अखाड़े का मुख्य उद्देश्य किन्नरों को भी समाज में समानता का अधिकार दिलवाना है.
किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है. हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है. अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है. अब सवाल यह उठता है की अरावन है कौन, किन्नर उनसे क्यों शादी रचाते है और यह शादी मात्र एक दिन के लिए ही क्यों होती है ? इन सभी प्रशनो का उत्तर जानने के लिए हमे महाभारत काल में जाना पड़ेगा.

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नमस्कार

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